वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ
निर्विघ्नम् कुरुमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।१।।
गजाननं भूत गणाधि सेवितं
कपिथ्थ जम्बू फल सार भक्षितम्
उमासुतम् शोक विनाश कारणम्
नमामि विघ्नेशवर पाद पंकजम् ।।२।।
मूषिक वाहन मोदक हस्ता
चामर कर्ण विलंबित सूत्र
वामन रूप महेश्वर पुत्र
विघ्न विनायक पाद नमस्ते ।।३।।
प्रकाश स्वरूपं नमो वायु रूपं
लिकारादि हेतुमं कलाधार भूतम्
अनेक क्रिया योग शक्ति स्वरूपं
सदाविश्वरूपं गणेशम् नमामी ।।४।।
निर्विघ्नम् कुरुमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।१।।
गजाननं भूत गणाधि सेवितं
कपिथ्थ जम्बू फल सार भक्षितम्
उमासुतम् शोक विनाश कारणम्
नमामि विघ्नेशवर पाद पंकजम् ।।२।।
मूषिक वाहन मोदक हस्ता
चामर कर्ण विलंबित सूत्र
वामन रूप महेश्वर पुत्र
विघ्न विनायक पाद नमस्ते ।।३।।
प्रकाश स्वरूपं नमो वायु रूपं
लिकारादि हेतुमं कलाधार भूतम्
अनेक क्रिया योग शक्ति स्वरूपं
सदाविश्वरूपं गणेशम् नमामी ।।४।।
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