श्री कृष्ण लीला तरङ्गिणी
प्रथमस्तरङ्ग:
श्लोक: हिमगिरितनया पत्यं हेमाचल चाप समुदितम् तेज:
किमपि महत्तममाद्यं स्मर्तव्यं विघ्नतिमिर हरणाय ।।१।।
गिरिराजसुतासूनु: करिराजवरानन:
परिपन्थिगणध्वंसी सुरसेव्यो विराजते ।।२।।
गीतं ।।१।।
मोहनम् अटताळशापू
प । जय जय स्वामिन् जय जय ।
अनु । जय जय जितवैरिवर्ग प्रचण्ट ।
जय जय गजमुख जय वक्रतुण्ड । - जयजय ।
मूषकवाहन मुनिगणवन्द्य
दोषरहित दुरितासुरबृन्द
शेषभूषण शिववारिधिचन्द्र
पोषितपरिजन पुण्यैककन्द । - जयजय ।।१।।
अद्रिसुतासुत अनवद्यचरित
भद्र भक्तभव भयहर मुदित
रुद्रोदित ऋजु-मस्तकसहित
सद्रूप सरसिज समुदितविनुत - जयजय ।।२।।
लम्बोदर धीर लावण्य सार
कम्बुसुधानिधि कर्पूरगौर
साम्बसदाशिव सत्कृतिचतुर
सामवेदगीत सकलाधार - जयजय ।।३।।
शक्रादिसुरगण सन्नुत चरण
शातकुम्भमणि दिव्याभरण
धिक्कृतघनविघ्न तिमिरावरण
धीर नारायण तीर्थ सुकरुण - जयजय ।।४।।
प्रथमस्तरङ्ग:
श्लोक: हिमगिरितनया पत्यं हेमाचल चाप समुदितम् तेज:
किमपि महत्तममाद्यं स्मर्तव्यं विघ्नतिमिर हरणाय ।।१।।
गिरिराजसुतासूनु: करिराजवरानन:
परिपन्थिगणध्वंसी सुरसेव्यो विराजते ।।२।।
गीतं ।।१।।
मोहनम् अटताळशापू
प । जय जय स्वामिन् जय जय ।
अनु । जय जय जितवैरिवर्ग प्रचण्ट ।
जय जय गजमुख जय वक्रतुण्ड । - जयजय ।
मूषकवाहन मुनिगणवन्द्य
दोषरहित दुरितासुरबृन्द
शेषभूषण शिववारिधिचन्द्र
पोषितपरिजन पुण्यैककन्द । - जयजय ।।१।।
अद्रिसुतासुत अनवद्यचरित
भद्र भक्तभव भयहर मुदित
रुद्रोदित ऋजु-मस्तकसहित
सद्रूप सरसिज समुदितविनुत - जयजय ।।२।।
लम्बोदर धीर लावण्य सार
कम्बुसुधानिधि कर्पूरगौर
साम्बसदाशिव सत्कृतिचतुर
सामवेदगीत सकलाधार - जयजय ।।३।।
शक्रादिसुरगण सन्नुत चरण
शातकुम्भमणि दिव्याभरण
धिक्कृतघनविघ्न तिमिरावरण
धीर नारायण तीर्थ सुकरुण - जयजय ।।४।।
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