श्लोक:
कृष्ण कृष्ण कृपासिन्धो भक्तसिन्धुसुधाकर ।
मामुद्धर जगन्नाथ मायामोहमहार्णवात् ।।६।।
गीतं - ४
रांग - माळवी / सौराष्ट्रम् तालं - त्रिपुट
मत्स्य कूर्म वराह नरमृग वामनामरभार्गव
कुत्सितारिविराम दशरथराम बलरामाभव । कृष्ण कृष्ण ।।१।।
कृष्ण कृष्ण कृपासमुद्र वितृष्णा बुद्ध गुणा कर
कृष्ण कल्कि शरीर खलजनकृन्तनामरसुखकर । कृष्ण कृष्ण ।।२।।
नित्यसिद्ध सुखानुभव निरञ्जनाखिलरञजन
प्रत्यगेकरसैकविग्रह परमपावनपावन । कृष्ण कृष्ण ।।३।।
गोपगोपीगोधनावन गूढ परतत्वाच्युत
तापहर नारायणतीर्थसन्तारक विजयगोपालक कृष्ण कृष्ण ।।४।।
कृष्ण कृष्ण कृपासिन्धो भक्तसिन्धुसुधाकर ।
मामुद्धर जगन्नाथ मायामोहमहार्णवात् ।।६।।
गीतं - ४
रांग - माळवी / सौराष्ट्रम् तालं - त्रिपुट
मत्स्य कूर्म वराह नरमृग वामनामरभार्गव
कुत्सितारिविराम दशरथराम बलरामाभव । कृष्ण कृष्ण ।।१।।
कृष्ण कृष्ण कृपासमुद्र वितृष्णा बुद्ध गुणा कर
कृष्ण कल्कि शरीर खलजनकृन्तनामरसुखकर । कृष्ण कृष्ण ।।२।।
नित्यसिद्ध सुखानुभव निरञ्जनाखिलरञजन
प्रत्यगेकरसैकविग्रह परमपावनपावन । कृष्ण कृष्ण ।।३।।
गोपगोपीगोधनावन गूढ परतत्वाच्युत
तापहर नारायणतीर्थसन्तारक विजयगोपालक कृष्ण कृष्ण ।।४।।